प्रकाश का ध्रुवण क्या है ?

वह प्रक्रिया जिसमे प्राकृतिक प्रकाश में परवर्तित होता है , प्रकाश का ध्रुवण कहलाती है |ध्रुवित प्रकाश की तरंगे एक ही समतल में कंपन करती हैं | समतल ध्रुवित प्रकाश ऐसी तरंगों से बना होता है , जिसमे सभी तरंगों के लिए कम्पन की दिशा समान होती है | भौतिकी में ध्रुवण के विभिन्न प्रकार हैं , जिनमें रेखीय ध्रुवण , वृताकार ध्रुवण और दीर्घवृताकार ध्रुवण शामिल हैं | यह परिघटना विज्ञान और प्रौद्योगिकी के कई क्षेत्रों जैसे प्रकाशिकी और इलेक्ट्रोनिकी, जीव विज्ञान और चिकित्सा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है | प्रकाश अंतरिक्ष के माध्यम से गमन करने वाले विधुत और चुंबकीय क्षेत्रों की परस्पर क्रिया है | एक प्रकाश तरंग के विधुत और चुंबकीय कंपन  एक दुसरे के लम्बवत होते हैं | विधुत क्षेत्र एक दिशा में गति करता है और चुंबकीय क्षेत्र दूसरी दिशा में लेकिन ये हमेशा एक दुसरे के लंबवत होते हैं | इस प्रकार , हमारे पास विधुत क्षेत्र के साथ एक समतल है , जिसमे अध्रुवित प्रकाश उत्पन्न होता है | सरल शब्दों में , भौतिकी में ध्रुवण की परिभाषा अध्रुवित प्रकाश को ध्रुवित प्रकाश में बदलने की प्रक्रिया को संदर्भित करती है |

ध्रुवण के प्रकार :-    अनुप्रस्थ और अनुदैर्ध्य तरंग गति के आधार पर भौतिकी में ध्रुवण तीन प्रकार के होते हैं :-

रैखिक ध्रुवण :- विधुत चुंबकीय विकिरण के रैखिक ध्रुवण या समतल ध्रुवण में विधुत क्षेत्र सदिश तरंग संचरण की दिशा के अनुदिश दिए गए समतल तक सिमित होता है , जबकि चुंबकीय क्षेत्र विधुत क्षेत्र और संचरण की दिशा दोनों के लंबवत दोलन करता है |

दीर्घवृताकार ध्रुवण :- यह प्रकाश के ध्रुवण का एक प्रकार है , जिसमें प्रकाश तरंग के विधुत और चुंबकीय क्षेत्र इसके संचरण के दौरन एक दीर्घवृतीय पथ का अनुसरण करते हैं | यह परिघटना रैखिक और वृताकार ध्रुवण का संयोजन हैं , और प्रत्येक बिंदु पर , विधुत चुंबकीय क्षेत्र का परिमाण स्थिर होता है , लेकिन इसकी दिशा ध्रुवण तरंग की दिशा के लंबवत एक समतल में एक निरंतर मान के साथ घूमती है | एक वृताकार ध्रुवित तरंग दो तरह से घूर्णन कर सकती है : या तो विधुत क्षेत्र सदिश संचरण की दिशा के अनुसार दक्षिणावर्त दिशा में घूर्णन करता है या संचरण की दिशा के अनुसार वामावर्त दिशा में घूर्णन करता है |

वृताकार ध्रुवण :- वृताकार ध्रुवण प्रकाश का ध्रुवण है , जिसमे प्रकाश तरंग के विधुत और चुंबकीय क्षेत्र वृतीय गति में घूर्णन करते हैं , क्योंकि तरंग अंतरिक्ष में संचरित होती है | प्रकाश के विधुत क्षेत्र में दो रैखिक घटक होते हैं जो एक दुसरे के लंबवत होते हैं और समान आयाम के होते हैं ,लेकिन कला अंतर /2 होता है | उत्पन्न विधुत क्षेत्र वृतीय गति में संचरित होगा |

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