किसी नैज अर्धचालक की चालकता उसके ताप पर निर्भर करती है , परन्तु कक्ष – ताप पर इसकी चालकता बहुत कम होती है | इसी रूप में , कोई भी महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक युक्ति उन अर्धचालकों द्वारा विकसित नहीं की जा सकती है | अत: इनकी चालकता में सुधार करना आवश्यक होता है | यह उन अर्धचालकों में अशुद्धियों का उपयोग करके किया जाता है | जब किसी शुद्ध अर्धचालक में कोई उपयुक्त अशुद्धि अत्यल्प मात्रा में जैसे कुछ भाग प्रति मिलियन में मिलाई जाती है तो उसकी चालकता में कई गुना वृद्धि हो जाती है | इस प्रकार के पदार्थों को अपद्रव्यी अर्धचालक (Extrinsic semiconductor) अथवा अशुद्धि अर्धचालक (Impurity semiconductor) कहते हैं | वांछित अशुद्धि को सावधानीपूर्वक मिश्रित करना मादन (Doping) या अपमिश्रण कहलाता है तथा अशुद्धि परमाणु अपमिश्रक (Dopants) कहलाता हैं | इस प्रकार के पदार्थ को मादित (Doped) अर्धचालक कहते हैं |
