फ़ोटोडायोड

फ़ोटोडायोड भी एक विशिष्ट प्रयोजन p-n संधि डायोड है जिसमें एक पारदर्शी खिड़की होती है , जिससे प्रकाश – किरणें डायोड पर पड़ सकती हैं | यह पशचदिशिक बायस में प्रचालित होता है | जब फ़ोटोडायोड उर्जा , जो कि अर्धचालक के उर्जा अंतराल से अधिक है , के फोटोनों ( प्रकाश ) द्वारा  प्रदीप्त होता है तो फोटोनों के अवशोषण के कारण इलेक्ट्रॉन- होल के e-h योग्लों का जनन डायोड के ह्रासी क्षेत्र में या इसके समीप होता है | संधि के विधुत क्षेत्र के कारण इलेक्ट्रॉन तथा होल पुन: संयोजन से पूर्व पृथक हो जाते हैं | विधुत क्षेत्र की दिशा इस प्रकार होती है कि इलेक्ट्रॉन n- फलक पर तथा होल p- फलक पर पहुँचते हैं , जिसके कारण एक emf उत्पन्न होता है | जब इसके साथ कोई बाह्य लोड संयोजित कर देते हैं तो विधुत धारा प्रवाहित होने लगती है |इस प्रकाश विधुत धारा का परिमाण आपतित प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर करता है( प्रकाश विधुत धारा आपतित प्रकाश की तीव्रता के अनुक्रमानुपति होती है )| यह आसानी से प्रेक्षण किया जा सकता है कि यदि पशचदिशिक बायस है तो प्रकाश की तीव्रता में परिवर्तन के साथ विधुत धारा में किस प्रकार परिवर्तन होता है| इस प्रकार किसी फ़ोटोडायोड का उपयोग प्रकाशिक सिग्नलों के लिए प्रकाश संसूचक की भाँती किया जा सकता है |  

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