प्रकाश-विद्युत प्रभाव तथा प्रकाश का तरंग सिद्धांत

प्रकाश की तरंग प्रकृति उन्नीसवीं शताब्दी के अंत तक अच्छी तरह स्थापित हो गई थी। प्रकाश के तरंग-चित्र के द्वारा व्यतिकरण, विवर्तन तथा ध्रुवण की घटनाओं की स्वाभाविक एवं संतोषजनक रूप में व्याख्या की जा चुकी थी। इसके अनुसार, प्रकाश एक वैद्युतचुंबकीय तरंग है, जो विद्युत एवं चुंबकीय क्षेत्र से मिलकर बनी होती है तथा…

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आकाश तरंग

आकाश तरंगों द्वारा प्रसारण रेडियो तरंगों के प्रसारण का एक अन्य ढंग है। आकाश-तरंग, प्रेषण-ऐंटीना से अभिग्राही-ऐंटीना तक सरल रेखीय पथ पर गमन करती है। आकाश तरंगों का उपयोग दृष्टिरेखीय रेडियो संचरण [line-of-sight (LOS) radio communication] के साथ ही साथ उपग्रह संचार में भी किया जाता है। 40 MHz से अधिक आवृत्तियों पर संचार केवल…

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वैद्युतचुंबकीय तरंगों का संचरण

रेडियो तरंगों का उपयोग करने वाले संचार में एक सिरे पर प्रेषित्र होता है जिसका ऐंटीना वैद्युतचुंबकीय तरंगें विकरित करता है, जो अंतरिक्ष में गमन करती हुई दूसरे सिरे पर स्थित अभिग्राही के ऐंटीना पर पहुँचती हैं। जैसे-जैसे वैद्युतचुंबकीय तरंगें प्रेषित्र से दूर होती जाती है वैसे-वैसे इनकी तीव्रता कम होती जाती है। वैद्युतचुंबकीय तरंगों…

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संचार व्यवस्था

संचार सूचना के संप्रेषण की क्रिया है। इस संसार का प्रत्येक प्राणी, अपने चारों ओर के संसार के अन्य प्राणियों से, लगभग निरंतर ही सूचनाओं के आदान-प्रदान की आवश्यकता का अनुभव करता है। किसी सफल संचार के लिए यह आवश्यक है कि प्रेषक एवं ग्राही दोनों ही किसी सर्वसामान्य भाषा को समझते हों। मानव निरंतर…

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जगदीश चंद्र बोस(1858 1937)

जगदीश चंद्र बोस (1858 1937) उन्होंने परालघु वैद्युतचुंबकीय तरंगों के जनन के लिए एक उपकरण बनाया और उसके अर्द्ध प्रकाशीय गुणों का अध्ययन किया। ऐसा कहा जाता है कि वे गैलेना जैसे अर्द्धचालक को वैद्युतचुंबकीय तरंगों के स्वतः पुनर्प्राप्त संसूचक के रूप में उपयोग करनेवाले पहले व्यक्ति थे। बोस ने ब्रिटिश पत्रिका दि इलैक्ट्रीशियन के…

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संधि ट्रांज़िस्टर

सन् 1947 में ट्रांज़िस्टर के आविष्कार का श्रेय बेल टेलीफ़ोन प्रयोगशाला U.S.A. के जे. बारडीन तथा डब्ल्यू. एच. ब्रेटन को जाता है। यह ट्रांज़िस्टर एक बिंदु सम्पर्क ट्रांज़िस्टर था। पहले संधि ट्रांज़सस्टर का आविष्कार 1951 में विलियम शॉकले ने दो p-n संधियों को एक-दूसरे के पश्च फलकों को जोड़कर किया था। जब तक केवल संधि…

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ज़ेनर डायोड

यह एक विशिष्ट प्रयोजन अर्द्धचालक डायोड है जिसका  नाम उसके अविष्कारक सी.ज़ेनर के नाम पर रखा गया है| इसे भंजन क्षेत्र में पश्चदिशिक बायस में प्रचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है तथा इसका उपयोग वोल्टता नियंत्रक के रूप में किया जाता है ज़ेनेर डायोड का प्रतीक में दर्शाया गया है | ज़ेनर डायोड…

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परमाणु उर्जा के क्षेत्र में भारत के बढ़ते कदम

भारत में परमाणु उर्जा कार्यक्रम कि शुरुआत डॉ. होमी जहाँगीर भाभा (1909-1966) के नेत्रित्व में लगभग स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ ही कि गयी | एक प्रारंभिक, एतीहासिक उपलब्धि पहले भारतीय नाभिकी रिएक्टेर (अप्सरा नामक) कि रचना एवं निर्माण था जिसने 4 अगस्त 1956 से अपना कार्य शुरु किया | इनमे संवर्धि यूरेनियम को इंधन और…

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गामा-क्षय

परमाणुओं के ऊर्जा स्तरों की भाँति ही नाभिक में भी ऊर्जा स्तर होते हैं। जब कोई नाभिक उत्तेजित अवस्था में होता है तो वैद्युतचुंबकीय विकिरण उत्सर्जित कर यह निम्न ऊर्जा अवस्था में संक्रमित होता है। क्योंकि नाभिकीय अवस्थाओं के ऊर्जा स्तरों में अंतर दस लाख इलेक्ट्रॉन वोल्ट MeV की कोटि का है, नाभिक से उत्सर्जित…

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मैरी स्क्लाडोवका क्यूरी

मैरी स्क्लाडोवका क्यूरी (1867. 1934) पोलेंड में जन्मी। भौतिकविज्ञानी एवं रसायनज्ञ दोनों रूपों में पहचान मिली। 1896 में हेनरी बैंकेरल द्वारा रेडियोऐक्टिवता की खोज ने मैरी और उनके पति पियरे क्यूरी को उनके अनुसंधानों एव विश्लेषणों के लिए प्रेरित किया, जिसके फलस्वरूप तत्वों- रेडियम एवं पोलोनियम- का पृथक्करण संभव हुआ। वह प्रथम वैज्ञानिक थीं जिन्हें…

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