रेडियोऐक्टिवता (radioactivity)

रेडियोऐक्टिवता की खोज ए एच. बैकेरल ने सन् 1896 में संयोगवश की। यौगिकों को दृश्य प्रकाश से विकीर्णित करके उनकी प्रतिदीप्ति एवं स्फुरदीप्ति का अध्ययन करते हुए बैकेरल ने एक रोचक परिघटना देखी। यूरेनियम-पोटैशियम सल्फेट के कुछ टुकड़ों पर दृश्य प्रकाश डालने के बाद उसने उनको काले कागज़ में लपेट दिया। इस पैकेट और फ़ोटोग्राफ़िक प्लेट के बीच एक चाँदी का टुकड़ा रखा। इसी प्रकार कई घंटे तक रखने के बाद जब फ़ोटोग्राफ़िक प्लेट को डेवेलप किया गया तो यह पाया गया कि यह प्लेट काली पड़ चुकी थी। यह किसी ऐसी चीज़ के कारण हुआ होगा जो यौगिक से उत्सर्जित हुई होगी तथा काले कागज़ और चाँदी दोनों को भेद कर फ़ोटोग्राफ़िक प्लेट तक पहुँच गई होगी।

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