गामा-क्षय

परमाणुओं के ऊर्जा स्तरों की भाँति ही नाभिक में भी ऊर्जा स्तर होते हैं। जब कोई नाभिक उत्तेजित अवस्था में होता है तो वैद्युतचुंबकीय विकिरण उत्सर्जित कर यह निम्न ऊर्जा अवस्था में संक्रमित होता है। क्योंकि नाभिकीय अवस्थाओं के ऊर्जा स्तरों में अंतर दस लाख इलेक्ट्रॉन वोल्ट MeV की कोटि का है, नाभिक से उत्सर्जित होने वाले फोटॉन भी MeV ऊर्जा के होते हैं और उनको गामा किरणें कहते हैं। अधिकांश रेडियोऐक्टिव न्यूक्लाइड ऐल्फ़ा-क्षय या बीटा-क्षय के बाद उत्तेजित अवस्था में रह जाते हैं।

यह विघटनज नाभिक, एक क्रमवत संक्रमणों के बाद अनुत्तेजित अवस्था ग्रहण करते हैं और इस प्रक्रिया में एक या कई गामा किरण फोटॉन उत्सर्जित करते हैं। इस तरह की प्रक्रिया का एक सामान्य उदाहरण  नाभिक है। बीटा क्षय द्वारा  नाभिक  के उत्तेजित नाभिक में बदल जाता है। इस प्रकार बना यह उत्तेजित  नाभिक क्रमिक रूप से 1.17 MeV एवं 1.33 MeV के दो गामा किरण फोटॉन उत्सर्जित करके अनुत्तेजित अवस्था ग्रहण करता है। इस प्रक्रिया को एक ऊर्जा स्तर आरेख द्वारा दर्शाया गया है।

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