जगदीश चंद्र बोस (1858 1937) उन्होंने परालघु वैद्युतचुंबकीय तरंगों के जनन के लिए एक उपकरण बनाया और उसके अर्द्ध प्रकाशीय गुणों का अध्ययन किया। ऐसा कहा जाता है कि वे गैलेना जैसे अर्द्धचालक को वैद्युतचुंबकीय तरंगों के स्वतः पुनर्प्राप्त संसूचक के रूप में उपयोग करनेवाले पहले व्यक्ति थे।

बोस ने ब्रिटिश पत्रिका दि इलैक्ट्रीशियन के 27 दिसंबर 1995 के अंक में तीन लेख प्रकाशित किए। 13 दिसंबर 1901 को मार्कोनी के पहले बेतार के संचार से दो वर्ष से भी अधिक पहले बोस के आविष्कार के बारे में 27 अप्रैल 1899 की रॉयल सोसाइटी की कार्यवाही में भी लेख प्रकाशित हो चुका था। बोस ने ऐसे अतिसंवेदी उपकरणों का आविष्कार किया जिनके द्वारा जीवित प्राणियों पर बाह्य उद्दीपकों की अतिसूक्ष्म प्रतिक्रिया को संसूचित किया जा सकता था। इनके द्वारा उन्होंने जंतु एवं वानस्पतिक ऊतकों में समांतरता स्थापित की।