संचार सूचना के संप्रेषण की क्रिया है। इस संसार का प्रत्येक प्राणी, अपने चारों ओर के संसार के अन्य प्राणियों से, लगभग निरंतर ही सूचनाओं के आदान-प्रदान की आवश्यकता का अनुभव करता है। किसी सफल संचार के लिए यह आवश्यक है कि प्रेषक एवं ग्राही दोनों ही किसी सर्वसामान्य भाषा को समझते हों। मानव निरंतर ही यह प्रयल करता रहा है कि उसका मानव जाति से संचार गुणता में उन्नत हो। मानव प्रागैतिहासिक काल से आधुनिक काल तक, संचार में उपयोग होने वाली नयी-नयी भाषाओं एवं विधियों की खोज करने के लिए प्रयत्लशील रहा है, ताकि संचार की गति एवं जटिलताओं के पदों में बढ़ती आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके। संचार प्रणाली के विकास को प्रोन्नत करने वाली घटनाओं एवं उपलब्धियों के विषय में जानकारी होना लाभप्रद है|

आधुनिक संचार की जड़ें 19 वीं तथा 20 वीं शताब्दियों में सर जगदीशा चन्द्र बोस, एफ.बी. मोर्स, जी मार्कोनी तथा अलेक्जेंडर ग्राहम बेल के कार्य द्वारा डाली गई। 20 वीं शताब्दी के पहले पचास वर्षों के पश्चात इस क्षेत्र में विकास की गति नाटकीय रूप से बढ़ी प्रतीत होती है। आगान दशकों में हम बहुत सी अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ देख सकते हैं। इसका उद्देश्य संच की अभिकल्पना, अर्थात संचार के ढंग (Mode), मॉडुलन की आवश्यकता, और आयाम-मॉडुल के निगमन तथा उत्पादन से परिचित होना है।