रेडियो तरंगों का उपयोग करने वाले संचार में एक सिरे पर प्रेषित्र होता है जिसका ऐंटीना वैद्युतचुंबकीय तरंगें विकरित करता है, जो अंतरिक्ष में गमन करती हुई दूसरे सिरे पर स्थित अभिग्राही के ऐंटीना पर पहुँचती हैं। जैसे-जैसे वैद्युतचुंबकीय तरंगें प्रेषित्र से दूर होती जाती है वैसे-वैसे इनकी तीव्रता कम होती जाती है।
वैद्युतचुंबकीय तरंगों के संचरण तथा गमनपथ को कई कारक प्रभावित करते हैं। यहाँ पर पृथ्वी के वातावरण की संरचना को समझना भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि वैद्युतचुंबकीय तरंगों के संचरण में इसकी सक्रिय भूमिका है। सारणी 15.3 में वायुमंडल की कुछ उपयोगी सतहों का संक्षिप्त विवरण दिया गया है।