रेडियोऐक्टिवता (radioactivity)

रेडियोऐक्टिवता की खोज ए एच. बैकेरल ने सन् 1896 में संयोगवश की। यौगिकों को दृश्य प्रकाश से विकीर्णित करके उनकी प्रतिदीप्ति एवं स्फुरदीप्ति का अध्ययन करते हुए बैकेरल ने एक रोचक परिघटना देखी। यूरेनियम-पोटैशियम सल्फेट के कुछ टुकड़ों पर दृश्य प्रकाश डालने के बाद उसने उनको काले कागज़ में लपेट दिया। इस पैकेट और फ़ोटोग्राफ़िक…

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नाभिक का साइज़

जैसा हमने देखा है, रदरफोर्ड वह अग्रणी वैज्ञानिक थे जिन्होंने परमाणु नाभिक के अस्तित्व की परिकल्पना एवं स्थापना की। रदरफोर्ड के सुझाव पर गीगर एवं मार्सडन ने स्वर्ण के वर्क पर ऐल्फ़ा कणों के प्रकीर्णन से संबंधित प्रसिद्ध प्रयोग किया। उनके प्रयोगों से यह स्पष्ट हुआ कि 5.5 MeV गतिज ऊर्जा के ऐल्फ़ा कणों की…

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न्यूट्रॉन की खोज

क्योंकि ड्यूटीरियम एवं ट्राइटियम हाइड्रोजन के ही समस्थानिक हैं, इनमें से प्रत्येक के नाभिक में एक प्रोटॉन होना चाहिए। लेकिन हाइड्रोजन, ड्यूटीरियम एवं ट्राइटियम के नाभिकों के द्रव्यमानों में अनुपात है। इसलिए ड्यूटीरियम एवं ट्राइटियम के नाभिकों में प्रोटॉन के अतिरिक्त कुछ उदासीन द्रव्य भी होना चाहिए। इन समस्थानिकों के नाभिकों में विद्यमान उदासीन अनाविष्ट द्रव्य…

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फ्रैंक – हर्ट्ज प्रयोग

किसी परमाणु में विविक्त ऊर्जा स्तरों के अस्तित्व की सीधी पुष्टि सन् 1914 में जेम्स फ्रैंक तथा गुस्ताव हर्ट्ज द्वारा की गई। उन्होंने पारे के वाष्प के स्पेक्ट्रम का अध्ययन, वाष्प से विभिन्न गतिज ऊर्जाओं के इलेक्ट्रॉन गुजार कर किया। इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा परिवर्तित करने के लिए उन पर परिवर्ती तीव्रता के विद्युत क्षेत्र लगाए…

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