दूरदर्शक अथवा दूरबीन का उपयोग दूर की वस्तुओं को कोणीय आवर्धन प्रदान के लिए किया जाता है। इसमें भी एक अभिदृश्यक तथा एक नेत्रिका होती है। परंतु यहाँ पर, नेत्रि की अपेक्षा अभिदृश्यक की फ़ोकस दूरी अधिक तथा इसका द्वारक भी काफ़ी अधिक होता है।

कि किसी दूरस्थ बिंब से चलकर प्रकाश अभिदृश्यक में प्रवेश करता है तथा ट्यूब के अंदर इसके द्वि० फ़ोकस पर वास्तविक प्रतिबिंब बनता है। नेत्रिका इस प्रतिबिंब को आवर्धित करके अंतिम उल्टा प्रतिबिंब बनाती है। आवर्धन क्षमता प्रतिबिंब द्वारा नेत्र पर अंतरित कोण तथा बिंब द्वारा नेत्र अथवा लेंस पर अंतरित कोण के अनुपात द्वारा परिभाषित किया जाता है।