संधि ट्रांज़िस्टर

सन् 1947 में ट्रांज़िस्टर के आविष्कार का श्रेय बेल टेलीफ़ोन प्रयोगशाला U.S.A. के जे. बारडीन तथा डब्ल्यू. एच. ब्रेटन को जाता है। यह ट्रांज़िस्टर एक बिंदु सम्पर्क ट्रांज़िस्टर था। पहले संधि ट्रांज़सस्टर का आविष्कार 1951 में विलियम शॉकले ने दो p-n संधियों को एक-दूसरे के पश्च फलकों को जोड़कर किया था। जब तक केवल संधि…

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ज़ेनर डायोड

यह एक विशिष्ट प्रयोजन अर्द्धचालक डायोड है जिसका  नाम उसके अविष्कारक सी.ज़ेनर के नाम पर रखा गया है| इसे भंजन क्षेत्र में पश्चदिशिक बायस में प्रचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है तथा इसका उपयोग वोल्टता नियंत्रक के रूप में किया जाता है ज़ेनेर डायोड का प्रतीक में दर्शाया गया है | ज़ेनर डायोड…

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परमाणु उर्जा के क्षेत्र में भारत के बढ़ते कदम

भारत में परमाणु उर्जा कार्यक्रम कि शुरुआत डॉ. होमी जहाँगीर भाभा (1909-1966) के नेत्रित्व में लगभग स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ ही कि गयी | एक प्रारंभिक, एतीहासिक उपलब्धि पहले भारतीय नाभिकी रिएक्टेर (अप्सरा नामक) कि रचना एवं निर्माण था जिसने 4 अगस्त 1956 से अपना कार्य शुरु किया | इनमे संवर्धि यूरेनियम को इंधन और…

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गामा-क्षय

परमाणुओं के ऊर्जा स्तरों की भाँति ही नाभिक में भी ऊर्जा स्तर होते हैं। जब कोई नाभिक उत्तेजित अवस्था में होता है तो वैद्युतचुंबकीय विकिरण उत्सर्जित कर यह निम्न ऊर्जा अवस्था में संक्रमित होता है। क्योंकि नाभिकीय अवस्थाओं के ऊर्जा स्तरों में अंतर दस लाख इलेक्ट्रॉन वोल्ट MeV की कोटि का है, नाभिक से उत्सर्जित…

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मैरी स्क्लाडोवका क्यूरी

मैरी स्क्लाडोवका क्यूरी (1867. 1934) पोलेंड में जन्मी। भौतिकविज्ञानी एवं रसायनज्ञ दोनों रूपों में पहचान मिली। 1896 में हेनरी बैंकेरल द्वारा रेडियोऐक्टिवता की खोज ने मैरी और उनके पति पियरे क्यूरी को उनके अनुसंधानों एव विश्लेषणों के लिए प्रेरित किया, जिसके फलस्वरूप तत्वों- रेडियम एवं पोलोनियम- का पृथक्करण संभव हुआ। वह प्रथम वैज्ञानिक थीं जिन्हें…

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 रेडियोऐक्टिवता (radioactivity)

रेडियोऐक्टिवता की खोज ए एच. बैकेरल ने सन् 1896 में संयोगवश की। यौगिकों को दृश्य प्रकाश से विकीर्णित करके उनकी प्रतिदीप्ति एवं स्फुरदीप्ति का अध्ययन करते हुए बैकेरल ने एक रोचक परिघटना देखी। यूरेनियम-पोटैशियम सल्फेट के कुछ टुकड़ों पर दृश्य प्रकाश डालने के बाद उसने उनको काले कागज़ में लपेट दिया। इस पैकेट और फ़ोटोग्राफ़िक…

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नाभिक का साइज़

जैसा हमने देखा है, रदरफोर्ड वह अग्रणी वैज्ञानिक थे जिन्होंने परमाणु नाभिक के अस्तित्व की परिकल्पना एवं स्थापना की। रदरफोर्ड के सुझाव पर गीगर एवं मार्सडन ने स्वर्ण के वर्क पर ऐल्फ़ा कणों के प्रकीर्णन से संबंधित प्रसिद्ध प्रयोग किया। उनके प्रयोगों से यह स्पष्ट हुआ कि 5.5 MeV गतिज ऊर्जा के ऐल्फ़ा कणों की…

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न्यूट्रॉन की खोज

क्योंकि ड्यूटीरियम एवं ट्राइटियम हाइड्रोजन के ही समस्थानिक हैं, इनमें से प्रत्येक के नाभिक में एक प्रोटॉन होना चाहिए। लेकिन हाइड्रोजन, ड्यूटीरियम एवं ट्राइटियम के नाभिकों के द्रव्यमानों में अनुपात है। इसलिए ड्यूटीरियम एवं ट्राइटियम के नाभिकों में प्रोटॉन के अतिरिक्त कुछ उदासीन द्रव्य भी होना चाहिए। इन समस्थानिकों के नाभिकों में विद्यमान उदासीन अनाविष्ट द्रव्य…

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फ्रैंक – हर्ट्ज प्रयोग

किसी परमाणु में विविक्त ऊर्जा स्तरों के अस्तित्व की सीधी पुष्टि सन् 1914 में जेम्स फ्रैंक तथा गुस्ताव हर्ट्ज द्वारा की गई। उन्होंने पारे के वाष्प के स्पेक्ट्रम का अध्ययन, वाष्प से विभिन्न गतिज ऊर्जाओं के इलेक्ट्रॉन गुजार कर किया। इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा परिवर्तित करने के लिए उन पर परिवर्ती तीव्रता के विद्युत क्षेत्र लगाए…

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आकाश तरंग

आकाश तरंगों द्वारा प्रसारण रेडियो तरंगों के प्रसारण का एक अन्य ढंग है | आकाश – तरंग , प्रेषण – ऐटीना से अभिग्राही – ऐटीना तक सरल रेखीय पथ पर गमन करती है | आकाश तरंगों का उपयोग दृष्टिरेखीय रेडियो संचरण [ Line – of sight ( LOS) radio communication ] के साथ उपग्रह संचार…

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